
उत्तराखंड में अब श्रद्धालुओं को कैलास दर्शन के लिए चीन जाना जरूरी नहीं होगा। बता दें कि कुमाऊं मंडल विकास निगम के सुझाव पर शासन ने समुद्र तल से 17,500 फीट ऊंचाई पर स्थित ओल्ड लीपूपास से कैलास दर्शन की तैयारी कर है और निरीक्षण करने के लिए शासन की ओर से बनाई गई रैकी टीम भी 6 दिन बाद निरीक्षण करके लौट आई है और जल्द ही वह शासन को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी तथा इस मामले में उत्तराखंड सरकार के साथ ही भारत सरकार के विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय ,रक्षा मंत्रालय द्वारा अगर सहमति दी गई तो कुछ सालों में भारतीय सीमा से श्रद्धालु कैलास पर्वत के दर्शन कर पाएंगे। बता दें कि कुमाऊं के साथ सिक्किम के रास्ते कैलास मानसरोवर यात्रा बीते वर्ष 2019 से नहीं हो सकी है। कैलास मानसरोवर यात्रा केएमवीएन 1994 से आयोजित करता आ रहा है और अब तक करीब 4000 शिवभक्त कैलाश मानसरोवर यात्रा कर चुके हैं तथा अब चीन के साथ कूटनीतिक व सामरिक संबंधों में कड़वाहट आने से यह यात्रा आयोजित नहीं की जा सकी है। इस मामले में जून के दूसरे सप्ताह में शासन के निर्देश पर केएमवीएन के एमडी डॉ. संदीप तिवारी समेत धारचूला के एसडीएम, आइटीबीपी ,सेना आईटीबीपी सीमा सड़क संगठन के अफसरों की टीम द्वारा पिथौरागढ़ जिले के उच्च हिमालयी क्षेत्र धारचूला से लिपुलेख, ओम पर्वत आदि कैलास व ओल्ड लीपूपास तक रैकी की गई। यह टीम सचिन कुर्वे द्वारा बनाई गई थी जो कि पर्यटन सचिव है।
