उत्तराखंड में 22 सालों में 181 बाघों की मौत, अब वन विभाग चौकन्ना

देहरादून| कार्बेट टाइगर रिजर्व में शिकारियों के फंदे में फंसी बाघिन बच गई है, लेकिन अभी भी उसकी जान को खतरा बना हुआ है| इस घटना को देखने के बाद वन विभाग को चौकन्ना कर दिया गया है|
बता दें राज्य गठन से अब तक 6 बाघों को शिकारियों ने मार डाला है| प्रदेश में बाघ के शिकार की आखिरी घटना वर्ष 2020 में दर्ज हुई थी|


वर्ष 2001 से कुछ वर्षों के अंतराल में बाघों के शिकार की 6 घटनाएं वन विभाग के आंकड़ों में दर्ज है|
जानकारों के अनुसार, यह संख्या अधिक भी हो सकती है लेकिन आमतौर पर वन विभाग की ओर से ऐसी घटनाओं को छुपा दिया जाता है या उनकी मौत को प्राकृतिक या आपसी संघर्ष में मारा जाना दर्शाया जाता है|
जो घटना अभी सामने आ रही है उसमें वन विभाग का कहना है कि वह पुरानी घटना है, जिस तरह से तार बाग के पेट में भीतर तक धंसा है और मांस उसके ऊपर चढ़ गया है, उससे लगता है कि यह करीब 1 साल पहले की घटना है|
दरअसल बीते दिनों राजाजी टाइगर रिजर्व में कार्बेट से दो बाघों को ट्रांसलोकेट किया गया| उसी दौरान लगाए गए कैमरा ट्रैप में यह बाघिन दिखाई दी थी| कार्बेट प्रशासन ने इस संबंध में एनटीसीए को भी सूचित कर दिया था|
वहीं प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक का कहना है कि घटना की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाएगी ताकि पूरी सच्चाई सामने आए|
बता दें, 2018 की गणना के अनुसार प्रदेश में बाघों की संख्या 442 है| वर्ष 2023 में बाघों की गणना के आंकड़े जारी किए गए हैं, जिसके अनुसार देशभर में बाघों की संख्या करीब 3167 बताई गई है|
उत्तराखंड में 2001 से अब तक कुल 181 बाघों की मौत विभिन्न कारणों से हुई है|