अमेरिका वाशिंगटन डीसी में स्थित अमेरिकी थिंक टैंक पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स (पीआईआईई) में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत की नकारात्मक पश्चिमी धारणा का करारा जवाब दिया|
बता दें कि वह यहां भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलापन और विकास पर चर्चा कर रही थी| कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार पर निर्मला सीतारमण ने कहा कि यह भारतीय लोगों का लचीलापन है, जो उन्होंने इसे अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया| लोगों ने इसे चुनौती के रूप में लिया और घर त्रासदियों के बावजूद अपने कारोबार के लिए बाहर आए|
वित्त मंत्री से पोसेन ने यह भी सवाल किया कि पश्चिमी प्रेस में विपक्षी दल के सांसदों की सदस्यता खोने और भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों के हिंसा का शिकार होने के बारे में व्यापक रिपोर्टिंग हो रही है|
इसका जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि ‘ दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी रहती है| यह आबादी संख्या में अब भी बढ़ रही है| यदि कोई धारणा है या यदि वास्तव में ऐसा है कि उनका जीवन कष्टमय है या सरकार के समर्थन से मुश्किल बना दिया गया है, जैसा कि इसमें से अधिकांश लेखों में लिखा जाता है| मैं पूछना चाहती हूं कि क्या यह भारत के बारे में इस मायने में कहना सही होगा जब मुस्लिम आबादी 1947 की तुलना में बढ़ रही है? और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की हालत बद से बदतर होती जा रही है, उनकी संख्या दिन पर दिन घटती जा रही है| कुछ मुस्लिम वर्गों की संख्या भी पाकिस्तान में कम हुई है| लेकिन भारत में हर वर्ग के मुस्लिम अपना व्यापार कर रहे हैं| उनके बच्चे शिक्षा पा रहे हैं और उन्हें फैलोशिप दी जा रही है| पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर मामूली आरोप लगाए जाते हैं, जिसके लिए मौत की सजा जैसी सजा दी जाती है| पाक में ईशनिंदा कानून का ज्यादातर मामलों में व्यक्तिगत प्रतिशोध को पूरा करने के लिए उपयोग किया जाता है| पीड़ित को तुरंत दोषी मान लिया जाता है यहां तक की उचित जांच और एक जूरी के तहत परीक्षण आयोजित किए बिना|’
वित्त मंत्री ने नकारात्मक पश्चिमी धारणा का खंडन करते हुए कहा कि ‘भारत आकर देखें कि यहां क्या हो रहा है, बजाय इसके कि उन लोगों द्वारा बनाई जा रही धारणाओं को सुनें, जो जमीन पर भी नहीं गए हैं और रिपोर्ट पेश करते हैं|’