नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से देश में मौत की सजा को अंजाम देने के लिए फांसी से कम दर्दनाक तरीके के विषय पर चर्चा शुरू करने और जांचने के लिए आवश्यक जानकारी एकत्र करने को कहा है|
इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने यह संकेत दिया कि वह राष्ट्रीय कानून विश्वविद्यालयों और एम्स से भी विशेषज्ञों का एक पैनल गठित करने के लिए तैयार है|
सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी को यह पता लगाने के लिए मई तक का समय दिया है कि फांसी की सजा के मुकाबले अधिक मानवीय तरीके व फांसी से मौत की सजा के प्रभाव का पता लगाने के लिए कोई अध्ययन किया गया है|
इस दौरान पीठ ने कहा कि हम इस मामले को तकनीक और विज्ञान के नजरिए से देख सकते हैं कि क्या ज्ञान का आज का चरण कहता है कि फांसी सबसे अच्छा तरीका है? हमारे पास वैकल्पिक तरीकों के बारे में भारत या विदेशों में कोई डेटा है? या हम एक समिति बना सकते हैं? हम सिर्फ सोच रहे हैं समिति में दिल्ली स्थित राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय के कुछ प्रतिष्ठित लोगों को रखा जा सकता है|
बताते चलें कि 6 अक्टूबर 2017 को इस मामले में शीर्ष अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी किया था| जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा था कि जिस दोषी का जीवन समाप्त होना है, उसे फांसी की पीड़ा सहने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए|