
उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले के जोशीमठ में आई आपदा से वहां पर निवास कर रहे लोगों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है। ऐसे में लोगों के मन में कई सवाल भी पनप रहे हैं। बता दें कि जोशीमठ का भविष्य अब आधा दर्जन एजेंसियों की जांच पर टिका हुआ है। जोशीमठ में भू कटाव की दृष्टि से पहली बार जियोटेक्निकल, जियोफिजिकल वह हाइड्रोलॉजिकल समेत अन्य जांच कार्य में एजेंसिया गई है और इनके रिपोर्ट के आधार पर ही बताया जाएगा कि जोशीमठ का भविष्य क्या होगा। यहां तक कि केदारनाथ की तर्ज पर जोशीमठ के पुनर्निर्माण का विचार भी सामने आ रहा है और यदि जरूरत पड़ी तो जोशीमठ को बचाने के लिए पुनर्निर्माण के संबंध में भी कदम आगे बढ़ाया जाएगा। मिश्रा कमेटी में आधिकारिक तौर पर 1976 में यह बात उजागर हुई थी कि जोशीमठ के भवनों पर दरारे पड़ रही हैं। अब आगामी दिनों में सभी एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर कदम आगे बढ़ाया जाएगा। रुड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान ने भवनों में भूमि में पड़े दरारों का आकलन कर निगरानी के लिए परिसंपत्तियों की क्षति का आकलन कर रहा है और इसी के साथ कई संस्थाएं जोशीमठ में जांच कर रही हैं।
