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अल्मोड़ा। कहते हैं समय बदलते समय नहीं लगता, ऐसा ही कुछ हुआ हंसी प्रहरी के साथ, वर्ष 1999 में अल्मोड़ा में छात्रा उपाध्यक्ष रही हंसी प्रहरी कि गुमनामी में मौत हो गई, यहां तक की हंसी के भाइयों ने भी असमर्थता जताते हुए अंत्येष्टि से मना कर दिया।
हम बात कर रहे हैं हंसी प्रहरी की जो ऐसे समय में जब बालिकाओं की शिक्षा को लेकर जागरूकता इतनी नहीं थी उस समय दो विषयों से m.a. की पढ़ाई कर हंसी ने 1999 में छात्रा उपाध्यक्ष का चुनाव लड़ा और जीत भी दर्ज की| 2002 के विधानसभा चुनाव में हंसी ने सोमेश्वर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा और मौजूदा सांसद अजय टम्टा से भी अधिक मत हासिल किए थे| 2002 के विधानसभा चुनाव परिणामों में सोमेश्वर से कांग्रेस पार्टी के टिकट पर प्रदीप टम्टा चुनाव जीते| इन चुनावों में अजय टम्टा को 1286 वोट मिले जबकि हंसी प्रहरी को ढाई हजार के करीब वोट मिले थे|
खबरों के मुताबिक हंसी कुछ समय से बीमार थी| 22 दिसंबर को उन्हें समाज सेवी भोला शर्मा द्वारा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था|
भोला शर्मा के मुताबिक भाइयों ने आने का वादा किया मगर नहीं आए| जिसके बाद भाइयों ने हरिद्वार आने में भी असमर्थता जताते हुए अंत्येष्टि के लिए बोल दिया| शनिवार को कनखल श्मशान घाट पर हंसी का अंतिम संस्कार किया गया।
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