जीआई टैग यानी भौगोलिक संकेतांक एक विशेष प्रकार का सूचकांक है| इसका प्रयोग किसी विशिष्ट क्षेत्र में पैदा होने या बनाएं जाने वाले उत्पाद को पहचान देने के लिए किया जाता है| जीआई टैग के मिलने के बाद वस्तु अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विशिष्ट पहचान के साथ स्थापित हो जाती है| उत्तराखंड में सबसे पहले तेजपत्ता को जीआई टैग मिला था| अब तक उत्तराखंड के 8 उत्पादों को जीआई टैग हासिल हो चुका है| इसमें कुमाऊं का च्यूरा ऑयल, मुनस्यारी का राजमा, भोट क्षेत्र का दन, उत्तराखंडी ऐपण, रिंगाल क्राफ्ट, ताम्र उत्पादन और थुलमा शामिल है|
कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार राज्य के उत्पादों को जीआई टैग मिलने से उत्पादों को उत्तराखंड की पहचान के साथ जाना जाता है| जिससे उत्तराखंड के इनउत्पादों को ब्रांड उत्तराखंड के रूप में स्थापित करने में सहायता मिलती है|
अब सरकार 11 और उत्पादों को जीआई टैग में शामिल करना चाहती है| जिनमें बेरीनाग की चाय, लाल चावल, मंडुआ, गहत, बुरांस का शरबत, झंगोरा, चौलाई, काला भट्ट, अल्मोड़ा की लाखोरी मिर्ची, पहाड़ी तोर दाल, और माल्टा शामिल है| इन उत्पादों को जीआई टैग में शामिल करने के लिए आवेदन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है|