देहरादून| गढ़वाली, कुमाऊंनी और जौनसारी बोलियों को भाषा का दर्जा दिलाने के लिए सरकार विचार करेगी| इन तीनों बोलियों को आठवीं अनुसूची में शामिल करने पर विचार होगा| उत्तराखंड की गढ़वाली, कुमाऊंनी व जौनपुरी-जौनसारी बोलियों को भाषा का दर्जा दिलाने को सरकार पुरजोर प्रयास करेगी| विधानसभा के शीतकालीन सत्र के प्रथम दिन प्रश्नकाल में भाषा मंत्री सुबोध उनियाल ने राज्य की इन तीन बोलियों को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के मद्देनजर सदन में संकल्प लाने पर सरकार विचार करेगी| यह बात उन्होंने विधायक प्रीतम सिंह पंवार के मूल प्रश्न और फिर विधायक विनोद चमोली व मुन्ना सिंह चौहान के अनुपूरक प्रश्नों के जवाब में कही|
भाषा मंत्री उनियाल के अनुसार, गढ़वाली, कुमाऊंनी, जौनपुरी-जौनसारी बोलियों के उन्नयन व संवर्धन के लिए उत्तराखंड लोक भाषा एवं बोली अकादमी की पहले ही स्थापना की जा चुकी है| इन बोलियों में लिखी जाने वाली उत्कृष्ट पुस्तकों के प्रकाशन को अनुदान दिया जाना प्रस्तावित है|