उत्तराखंड में स्वस्थ राजनीति की इबादत लिख रहे हैं सीएम धामी- डॉ. केतकी तारा कुमैय्या

अल्मोड़ा। चुनावी कुरुक्षेत्र में विजय होने के बाद कई विजीगिषु सत्तासुख भोगने में रम जाते है।। वही कुछ इतिहास रचने के साथ इतिहास गड़ने में लग जाते है क्योंकि उनके लिए जीत एक नया गंतव्य होता है। उन्हीं में से एक है उत्तराखंड के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जिन्होंने साहसिक निर्णयों से अपने दायित्वपूर्ति के साथ युवाशक्ति में नई ऊर्जा का संचार किया है और साथ में स्वस्थ राजनीति के निर्माण में रामसेतु की भूमिका भी निभा रहे है।
अभी कुछ दिनों पहले उन्होंने जिस प्रकार दलगत राजनीति को दरकिनार करते हुए सभी विधायकों से 10 महत्वपूर्ण कार्यों की सूची मांग कर उनके क्रियान्वन पर अपने सहयोग की बात रखी है वह वास्तव में स्वागत्योग्य है। उनकी यही पहल उन्हे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई व पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की श्रेणी में रखती है जो विचारधाराओं से परे सबके प्रिय रहे है। कहा जाता है राजनीति में मतभेद हो सकते है पर मनभेद नहीं और धामी के ऐसे निर्णायक फैसलों से यह प्रमाणित भी होता है। जहा उन्होंने भाजपा की साख को उसके अस्थिरता के दौर में मजबूती दी वही उनके व्यवहारिक और जनता संबंधी जैसे:- जनता दरबार या महिलाओं को सह स्वामित्व या मालिकाना हक में बराबरी देना एक अच्छे राजनेता के गुणों को परिलक्षित करता है बल्कि उच्च स्टेट्समैनशिप को भी दर्शाता है।


एक और बात जो दृष्टिगत है की उनके प्रत्येक कार्य में समयबद्धता देखी जा सकती है। जब हम गुड गवर्नेंस की बात करते है तो उसमे कई मानक होते है और उनमें से सबसे महत्त्वपूर्ण समयबद्धता होती है । उत्तराखंड निर्माण को 22 वर्ष पूर्ण हो चुके है लेकिन भू- कानून या समान अचार संहिता जैसे गंभीर मुद्दे राजनीतिक उठा पटक या फिर राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं में दब गए थे या दबाए गए थे। लेकिन धामी के पदभार ग्रहण करने के बाद ये उम्मीद जगी है कि उत्तराखंड उत्तराखण्डियों के लिए है ना कि कोई ऐसी जागीर जिस पर कोई भी अपना अनर्गल दावा कर सकता है।
आशा करते है इस वटवृक्ष की शाखाएं और अधिक पुष्पित, पल्लवित हो और उत्तराखंड में जो कुशल नेतृत्व मुख्यमंत्री धामी के द्वारा प्रदान किया जा रहा है वो इसी प्रकार से हम सभी के लिए प्रेरणा का प्रकाशस्तंभ बना रहे।