नई दिल्ली| सियासी दलों द्वारा किए जाने वाले लुभावने चुनावी वादों को लेकर निर्वाचन आयोग ने सख्त रुख अपनाया है| आयोग ने राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर यह राय मांगी है कि चुनावी वादे करने के समय उसे पूरा करने के लिए धन कहां से आएगा, यह बताने को भी आदर्श चुनाव आचार संहिता का हिस्सा क्यों न बना दिया जाए|
चुनाव आयोग ने पत्र में कहा है कि इससे मतदाताओं को प्रमाणिक जानकारी मिल पाएगी| आयोग ने राजनीतिक दलों से 19 अक्टूबर तक उनकी राय मांगी है| निर्वाचन आयोग के द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि वह चुनावी वादों पर पूर्ण जानकारी न देने और उसके वित्तीय स्थिरता पर पड़ने वाले अवांछनीय प्रभाव की अनदेखी नहीं कर सकता|
आयोग ने पत्र में कहा है कि खोखले चुनावी वादों के दूरगामी प्रभाव होते हैं, जिससे न सिर्फ चुनावी मैदान में असंतुलन पैदा होता है बल्कि मतदाताओं को सही चयन करने के लिए उचित जानकारी नहीं मिल पाती है|