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देहरादून| चर्चित वीडियो भर्ती घपले की जांच भी अब विजिलेंस से हटाकर एसटीएफ को सौंप दी गई है| डीजीपी अशोक कुमार ने सीएम के निर्देश पर आदेश जारी कर दिए हैं| इस मामले में जनवरी 2020 में मुकदमा दर्ज किया गया था| लेकिन किसी भी व्यक्ति को अभी तक आरोपी नहीं बनाया गया| कुछ दिन पहले ही विजिलेंस ने जल्द गिरफ्तारी करने की बात कही, लेकिन इससे पहले ही सीएम ने जांच एसटीएफ को सौंपने के निर्देश दिए|
वर्ष 2015 में अधीनस्थ सेवा चयन आयोग में वीडियो पद के लिए परीक्षा कराई थी| लेकिन धांधली का आरोप लगा तो इसे रद्द कर दिया गया| इसके बाद अगले साल इस परीक्षा को पुनः आयोजित कराया गया| रिजल्ट आने के बाद पहले साल टॉपर बने अभ्यार्थी सबसे नीचे आ गए| शासन के आदेश पर एक प्राथमिक जांच कराई गई| जिसमें एक पुलिस अधिकारी भी शामिल रहे| 4 साल तक प्राथमिक जांच चलती रही| जांच में पता चला कि परीक्षा में ओएमआर सीटों में छेड़छाड़ हुई थी| सेटिंग वाले अभ्यर्थियों की ओएमआर शीट में गोले काले कर दिए गए| जिससे वह टॉपर बन गए| इसके बाद जांच विजिलेंस को सौंपी गई| जनवरी 2020 में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज कराया लेकिन मुकदमे में प्राथमिक तौर पर कोई आरोपी नहीं बनाया गया था| ढाई साल से भी अधिक समय से जांच चल रही है| अभी पिछले दिनों विजिलेंस ने कहा था कि जल्द ही आरोपी की गिरफ्तारी होगी पर एसटीएफ एक के बाद एक खुलासे कर रही है| इसके बाद सीएम ने विजिलेंस से जांच को हटाकर एसटीएफ से कराने को कहा|
विजिलेंस अफसरों का कहना है कि, 6 साल पहले परीक्षा हुई थी| ऐसे में कई साक्ष्य तो नष्ट भी हो गए हैं| इनमें कॉल डिटेल को बड़ा शाक्ष्य माना जाता है| लेकिन इतनी पुरानी कॉल डिटेल भी अब नहीं निकल पाईं है| आयोग का कहना है कि तमाम इस तरह के साक्ष्य हैं जो आयोग के मांगने पर भी मुहैया नहीं कराई गए| इसके साथ ही उस वक्त के कई अधिकारी और कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो गए हैं| ओएमआर शीट का मिलान करना भी बेहद मुश्किल रहा है|
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