नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट में सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की गई। यह सुनवाई मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में की गई।हाई कोर्ट में यह याचिका अल्मोड़ा हवालबाग निवासी जितेंद्र यादव ने दायर की और कहा कि सरकार ने 2013 में बने प्लास्टिक यूज व उसके निस्तारण करने के लिए नियमावली बनाई मगर अभी भी इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।साथ में उन्होंने याचिका में यह भी कहा कि 2018 में केंद्र सरकार द्वारा प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट टूल बनाए गए थे जिसके अंतर्गत उत्पादनकर्ता, परिवहनकर्ता और विक्रेता इन सभी की जिम्मेदारी थी कि वह जितना प्लास्टिक निर्मित माल बेचेंगे उतना ही खाली प्लास्टिक वह वापस ले जाएंगे मगर इन सारे नियमों का उल्लंघन उत्तराखंड में हो रहा है और पहाड़ों में अभी भी प्लास्टिक के ढेर लगे हुए हैं जिसका निस्तारण नहीं किया जा रहा है। हाईकोर्ट में दायर की गई इस याचिका के संबंध में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कुछ निर्देश दिए हैं जो कि इस प्रकार हैं।
हाई कोर्ट का कहना है कि जो भी उत्पादनकर्ता परिवहनकर्ता, विक्रेता प्लास्टिक में अपने उत्पाद बेचेगा वह 10 दिन के अंदर अंदर उत्तराखंड पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड में अपना रजिस्ट्रेशन करवाएगा, और जो भी प्लास्टिक का प्रयोग करेगा व रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा तो ऐसे में कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि वह उनके उत्पादों की बिक्री राज्य में रोक दें।
राज्य में 3 सप्ताह के अंदर प्लास्टिक कचरे का निस्तारण कर रिपोर्ट पेश की जाए।
जो भी उत्पादनकर्ता, विक्रेता प्लास्टिक के बोतलों में या फिर प्लास्टिक की अन्य वस्तुओं में अपने उत्पाद बेचेगा वह अपने साथ खाली बोतलें चिप्स के पैकेट और रैपर वापस भी ले जाएगा और यदि वह वापस नहीं ले जाता है तो इसके बदले वह ग्राम पंचायत व अन्य को फंड देगा जिससे कि इसका निस्तारण होगा।
इन सब कार्यों की मॉनिटरिंग राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा की जाएगी तथा कोर्ट ने राज्य सरकार से प्लास्टिक से होने वाले दुष्प्रभावों के प्रचार-प्रसार करने को कहा है।