उड़ीसा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर भारत के चार पवित्र धामों में से एक है| यहां हर वर्ष आषाढ़ माह में भव्य रथ यात्रा का आयोजन होता है| हिंदू धर्म में जगन्नाथ रथ यात्रा का बहुत अधिक महत्व है| मंदिर में भगवान जगन्नाथ विराजमान है| जो कि श्रीहरि विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का ही रूप माने जाते हैं| जगन्नाथ का अर्थ होता है, ‘जगत के नाथ|’
आषाढ़ माह की द्वितीय तिथि को यह रथ यात्रा शुरू होती है और शुक्ल पक्ष के 11वें दिन भगवान की वापसी के साथ इस यात्रा का समापन होता है| इस साल यात्रा के उत्सव की शुरुआत 1 जुलाई 2022 शुक्रवार से होगा| मान्यता है कि जगन्नाथ यात्रा यात्रा में शामिल होने से व्यक्ति के जीवन की सभी दुख दर्द और कष्ट समाप्त हो जाते हैं|
बताते चलें कि प्रत्येक वर्ष आषाढ़ शुक्ल के द्वितीय तिथि को भगवान जगन्नाथ अपनी मौसी के घर जाते हैं| इसी दौरान उनके साथ बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा भी जाती है| तीनों अलग-अलग डोली पर सवार होते है| इसके बाद तीनों को रथ यात्रा के जरिए उनकी मौसी के घर गुंडीचा मंदिर में ले जाया जाता है| गुंडिचा मौसी का मंदिर जगन्नाथ मंदिर से करीब 3 किलोमीटर दूर है| इस दौरान लाखों भक्त श्रद्धा भाव से भगवान जगन्नाथ के रथ को खींचकर उन्हें गुंडीचा मंदिर ले जाते हैं| इसके बाद आषाढ़ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को तीनों को वापस अपने स्थान पर लाया जाता है|