
देहरादून। उत्तराखंड में अपनी नई लीडरशिप के ऐलान के बाद से ही कांग्रेस को लगातार मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है, कांग्रेस के कई विधायक नाराज बताए जा रहे हैं जिनमें धारचूला विधायक हरीश धामी , पिथौरागढ़ विधायक मयूख महर , अल्मोड़ा विधायक मनोज तिवारी, द्वाराहाट विधायक मदन बिष्ट के साथ-साथ विधायक ममता राकेश राजेंद्र भंडारी जैसे बड़े नेताओं का नाम शामिल है।
इस बीच अब यह अटकलें लगाई जाने लगी है कि क्या कांग्रेस और उत्तराखंड विधानसभा में अपने नेता प्रतिपक्ष के पद को खो सकती है दरअसल यह अटकलें इसलिए भी लगाई जा रही है क्योंकि धारचूला विधायक हरीश धामी ने एक बयान दिया जिसमें उन्होंने कहा कि क्षेत्र का विकास होता रहे इसके लिए वे इस विकल्प पर भी विचार कर रहे हैं कि उनकी विधायिका बची है और यह तभी संभव है जब विधायकों की कुल संख्या 13 हो और वे भाजपा अथवा किसी पार्टी में शामिल न होकर अपना अलग दल बनाएं।
हरीश धामी के इस बयान के बाद सियासी हलचल तेज होना लाजमी है| उत्तराखंड में धामी के इस बयान के बाद यह अटकलें भी लगने लगी है कि क्या उत्तराखंड में तीसरा दल मजबूत स्थिति में आ पाएगा, संवैधानिक प्रक्रिया के अनुसार यदि दो तिहाई विधायक एक साथ पार्टी छोड़े हैं तो वह दूसरे दल में शामिल ना हो कर अपना अलग दल बना सकते हैं ऐसे में सभी विधान सभा के सदस्यों की सदस्यता बची रहने की संभावना होती है।
