भारत के पड़ोसी मुल्क और बांग्लादेश में इन दिनों हिंदुओं अर्थात अल्पसंख्यकों पर जिस प्रकार के अत्याचार और हिंसा जैसी वारदातें सामने आ रही है वह वास्तव में डरावनी है, बांग्लादेश में ऐसी घटनाएं नई तो नहीं है क्योंकि बांग्लादेश के जन्म (१९७१) के बाद से ही वहां हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमले लगातार बढ़ते गए।
वर्ष 1971 में बांग्लादेश के जन्म होने के उपरांत 1974 में बांग्लादेश में पहली जनगणना हुई जिसमें अल्पसंख्याक अर्थात हिंदुओं की आबादी लगभग 13% के आसपास बताई गई परंतु 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक यह आबादी महज 8.5% रह गई थी एक अनुमान के मुताबिक 2011 से अब तक इस 8.5% की आबादी में भी 3% की गिरावट आ चुकी है अर्थात लगभग 5.5% ही हिंदू अल्पसंख्यक बांग्लादेश में बचे हुए हैं।
बहुसंख्यक कट्टरपंथ एक बड़ी वजह :- बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार का एक प्रमुख कारण बहुसंख्यक कट्टरपंथी है, एक रिपोर्ट के मुताबिक इन हमलों का मुख्य कारण हिंदुओं की जमीन हड़पना है, एक रिपोर्ट ने इस हिंसा को एक पैटर्न में समझाया है दरअसल बहुसंख्यक कट्टरपंथी हिंदुओं के घर जला देते हैं जिसके बाद हिंदू बेघर होकर पलायन को मजबूर हो जाते हैं हिंदुओं के पलायन के पश्चात यह कट्टरपंथियों की जमीनों,मकानों पर कब्जा कर लेते है।
2050 तक नहीं रहेगी हिंदू आबादी :- बांग्लादेश की राजधानी ढाका के एक विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ अबुल बरकत की शोध पर आधारित एक पुस्तक के मुताबिक हर रोज 616 हिंदू परिवार बांग्लादेश से पलायन को मजबूर है इस अनुमान के मुताबिक वर्ष 2050 तक बांग्लादेश में एक भी हिंदू अल्पसंख्यक परिवार नहीं बचेगा।